जैसा कि आप सब जानते है भारत मैं एक सामान्य मजदूर , दुकानदार से लेकर खेती और कंपनियों तक सारी जगह पेट्रोल और डीजल का उपयोग होता है। हमारे रोजाना जीवन मैं पेट्रोल का बोहोत बड़ा योगदान रहता है। इस वजह से महंगाये पेट्रोल डीजल का असर हमारे जेब पर भी पड रहा है। लेकिन क्या आप जानते है की चीन को छोड़ कर हमारे सारे पड़ोसी देशों मैं पेट्रोल और डीजल की कीमत बहोद काम है तो आइए जानते है ऐसा क्यों है।

पेट्रोल और डीजल के दाम कैसे तय किए जाते है?

भारत ज्यादा तर कच्चा तेल बाहर से आयात करता है। और उसमे भारत की ज्यादा तर आयात ब्रेटकुड , ओमान क्रूड , दुबई क्रूड से लाया जाता है। इस वजह से उसके भाव अंतर्राष्ट्रीय स्तर ओमान, दुबई और उस निर्धारित देश के भाव पे तय होता है। भारत मै ऑइल मार्केटिंग कंपनिया जेसे की indian oil corp, hindustan petroleum corp, Bharat petroleum corp इस बाहर से लाये कच्चे तेल को खरीद लेती है और उसका पेट्रोल डीजल और अन्य तेलों मैं विभाजन करती है और अलग अलग करके देशभर मैं सप्लाई करती है।
और उसका भाव इस तरह निर्धारित होता है
विक्त मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार PIC(petroleum,oil & lubricants) शुल्क से राजकोषीय घाटे को बचाए रखने मै मदत मिलती है और तेल पर टैक्स का केंद्र और राज्य इन दोनो का ये बड़ा इनकम का स्त्रोत है। यह एक बड़ा कारण है की तेल की कीमतें आसमान छू रही है।अगर सरकार एक्साइज ड्यूटी मैं 1 रुपया की भी बढ़ोतरी करे तो सरकार के पास 14000-15000 करोड़ को आमदनी हो जाती है। करोना के चलते जो लॉकडाउन लगाना पड़ा इस वजह से सरकार का खजाना खाली हो गया उसके साथ मै ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पे पेट्रोल की कीमत मै कमजोरी आ गईं इसका फायदा भी सरकार ने उठाया साथ मै टैक्स बढ़ाकर अपनी आमदनी चालू की|
भारत देश पे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पे $2628.49 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज है और हमारी GDP साल प्रतिसाल नीचे जा रही है उस वक्त तेल पर लगा टैक्स सरकार के लिए संजीवनी साबित हो रहा है ।
यह तेल की कीमतों मै बढ़ोतरी का कारण है।